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लेखनी कहानी -24-Jun-2022 पांवों की थिरकन

पांव भी तभी थिरकते हैं जब 
दिल खुशी से ता ता थैया करता है 
ये दिल का उत्साह ही तो है जो 
पांवों को थिरकने पे विवश करता है 

कोई भगवत् भक्ति में थिरकता है 
कोई पेट भरने के लिए थिरकता है 
कोई कोई तो अपने आका के लिए 
बस, एक पांव पर ही थिरक लेता है 

पांवों को थिरकने के लिए घुंघरुओं की नहीं 
केवल आत्मिक खुशी की दरकार होती है
जब मन में आनंद का सागर उमड़ता है तो 
पांवों में भी सरगम की सी झंकार होती है 

एक गृहणी के पांव दिन भर थिरकते हैं 
पति और बच्चों की एक मुस्कान के लिए 
वह अपने सारे शौक भूल के लगी रहती है 
अपने छोटे से संसार की सार संभाल के लिए 

जीवन का एक ही मंत्र है यारो 
खुशी दो और बदले में खुशी लो 
अब ये फैसला तुम्हें करना है कि 
पांवों को थिरकने दो या समेट लो 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
24.6.22 


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4 Comments

Renu

24-Jun-2022 11:41 AM

Very nice 👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Jun-2022 12:23 PM

धन्यवाद जी

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Abhinav ji

24-Jun-2022 08:03 AM

Very nice👍

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Jun-2022 12:23 PM

धन्यवाद जी

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